Monday, January 30, 2023

ओलंपिक की ओर मिट्टी की कुश्ती का कदम.. यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ऑर्गनाइजेशन मिट्टी की कुश्ती को मान्यता

 


ओलंपिक की ओर मिट्टी की कुश्ती का कदम.. 
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ऑर्गनाइजेशन मिट्टी की कुश्ती को मान्यता

कुश्ती भारत में अपने प्राचीन इतिहास से और उससे हजारों साल पहले से खेली जा रही है। मिट्टी की कुश्ती को प्राचीन काल से ही यहां राजसी मान्यता और जन समर्थन प्राप्त है। मिट्टी की कुश्ती की एक बहुत पुरानी संस्था इंडियन रेसलिंग फेडरेशन (इंडियन स्टाइल) ने लगभग 60-65 वर्षों तक इस संगठन और लाल मिट्टी पर कुश्ती को बनाए रखने और विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत की। अब तक इस संस्था ने हिंद केसरी, भारत केसरी, रुस्तम ए हिंद, भारत भीम जैसी कई प्रतिष्ठित उपाधियां दी हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने साबित कर दिया कि मिट्टी में एक ही संगठन अधिकृत है।कुश्ती में कई प्रवृत्तियों ने भारतीय शैली कुश्ती महासंघ को सत्ता और धन से परेशान करने की कोशिश की लेकिन गौरव सचदेवा, रामाश्रय यादव, नफेसिह राठी की टीम ने अदालत के माध्यम से इस तरह के खेल में प्रवेश करने वाली बुरी प्रवृत्तियों का जवाब दिया।

मिट्टी की कुश्ती अब दुनिया भर में खेली जा रही है और वह भी संयुक्त विश्व कुश्ती संगठन की मंजूरी से। हैदराबाद में आयोजित 51वें हिंदकेसरी टूर्नामेंट में यूडब्ल्यूडब्ल्यू एसोसिएटेड स्टाइल्स की अध्यक्ष और ब्यूरो सदस्य रोडिका याक्सी ने इस अवसर पर एक समझौता पर हस्ताक्षर किए, जिसमें यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ऑर्गनाइजेशन द्वारा भारतीय शैली की कुश्ती को मान्यता दी गई और यह मिट्टी का खेल दुनिया भर में फैलने जा रहा है। यह वास्तव में भारत के लिए गर्व की बात है और एक महान अवसर है। हमारी असली पहचान मिट्टी की कुश्ती है और मिट्टी की प्रतियोगिताएं अब वैश्विक स्तर पर होंगी और यहां के एथलीटों को इसका फायदा मिलेगा। साथ ही, भारत के कोचों को दुनिया भर के विभिन्न देशों में खिलाड़ियों को पढ़ाने के अवसर भी मिलेंगे। इससे भारत के पहलवानों और कोचों को काफी फायदा होगा।


महाराष्ट्र को इस मौके का फायदा उठाना चाहिए
संयुक्त विश्व कुश्ती संघ की मान्यता मिलने के बाद महाराष्ट्र में एक अच्छा संगठन बनाना जरूरी है। दोनों गुटों के बीच चल रही राजनीति के चलते महाराष्ट्र की कुश्ती में हमेशा विवाद होते रहते हैं। मिट्टी की कुश्ती का एक बढ़ा संगठन होना आवश्यक है जो इन दो समूहों से अलग हो। इंडियन स्टाइल रेसलिंग फेडरेशन को महाराष्ट्र और कर्नाटक में अपनी जड़ें जमानी चाहिए। रामाश्रय यादव, गौरव सचदेवा की टीम को इन दोनों राज्यों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्‍योंकि इन दोनों राज्‍यों में मिट्टी की कुश्ती का बहुत बड़ा फैन बेस है। और यहां सबसे ज्यादा पैसा कुश्ती पर खर्च किया जाता है। इसलिए उन्हें कर्नाटक, महाराष्ट्र का संगठन बनाना चाहिए। मोहन खोपड़े जैसा संघर्षशील सचिव अच्छा काम कर रहा है। आधिकारिक संगठन की घोषणा करके UWW और इंडियन स्टाइल फेडरेशन की मंजूरी के साथ महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य राज्यों में प्रमुख प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी चाहिए।

द्रोणाचार्य पुरस्कार रोशनलालजी सचदेवा सर का 6-7 दशकों का सपना पूरा हुआ है।
 रोशन लालजी और उनकी टीम ने इस कुश्ती को कायम रखने के लिए बहुत मेहनत की और मिट्टी पर हिंदकेसरी, भारत केसरी, रुस्तम ए हिंद, भारत भीम जैसे कई बड़े टूर्नामेंट आयोजित किए। रामाश्रय यादव, गौरव सचदेवा और इंडियन स्टाइल रेसलिंग फेडरेशन की टीम की मेहनत से  मिट्टी की कुश्ती को संयुक्त विश्व कुश्ती संगठन से मान्यता दिलाकर रोशन लालजी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

यहां से दूसरे संगठनों की दादागीरी बंद होगी
मिट्टी की कुश्ती में एक और बड़ी बाधा अन्य कुश्ती संघठन का था। बहुत से लोगों ने  भारतीय शैली और संगठन को मान्यता नहीं दिलाने के लिए बहुत कोशिश की। लेकिन UWW ने पूरी रिसर्च की और इंडियन रेसलिंग स्टाइल फेडरेशन के साथ डील साइन की। जब बजरंग पुनिया और अन्य खिलाड़ियों ने ब्रजभूषण और उनके संगठन के खिलाफ आरोप लगाए, तो दुनिया भर के अखबारों ने इस खबर को उठाया। इससे खेल की बदनामी हुई। खिलाड़ियों ने टीवी पर कहा कि एक सेक्रेटरी ने कुश्ती की जान पर करोड़ों रुपए वसूले थे। इन आरोपों की निष्पक्ष जांच के बाद संगठन को एक नई अच्छी खिलाड़ी टीम की जरूरत है। अगर किसी एक राज्य में ज्यादा लोग हैं तो वो सिर्फ अपने खिलाड़ियों को ध्यान देते है।  इसलिए हर राज्य के पदाधिकारी  लोगों को मौका दिया जाना चाहिए.

- दत्तात्रय जाधव - सोंडोलीकर कुस्ती संघटक- अभ्यासक 


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